कभी तो समझेंगें वो मुझे, बस इसी सब्र में ही, क्या बची ज़िन्दगी कटेगी मेरी रसोई-घर में ही। कभी तो समझेंगें वो मुझे, बस इसी सब्र में ही, क्या बची ज़िन्दगी कटेगी मेरी रसोई-घर...
हम सब भौतिक होते जा रहे हैं प्रकृति खत्म होती जा रही है ! हम सब भौतिक होते जा रहे हैं प्रकृति खत्म होती जा रही है !
आओ चल दे एक सुकून से भरे शहर की तलाश में, कुछ खो कर कुछ पाने की ख्वाहिश में,। आओ चल दे एक सुकून से भरे शहर की तलाश में, कुछ खो कर कुछ पाने की ख्वाहिश में,...
सुहागिले ! सुहागिले !
बिछडे़गे नहीं भले कोई क़यामत रहे, दुआ दी लोगों ने जोड़ा सलामत रहे। बिछडे़गे नहीं भले कोई क़यामत रहे, दुआ दी लोगों ने जोड़ा सलामत रहे।
क्यूँ बदल जाती है तस्वीर सात फेरों के बाद ? क्यूँ बदल जाती है तस्वीर सात फेरों के बाद ?